रक्षा बंधन सनातन हिन्दू संस्कृति में परस्पर आत्मीय बंधन एवं एक-दूसरे के प्रति समर्पित रहने तथा सहायता के लिए सदैव तत्पर रहने के लिए संकल्प लिए जाने का त्यौहार है। इसके साथ ही श्रावणी पर्व पर किए जाने वाले रक्षा विधान में वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाने वाला कलावा मात्र तीन धागों का समूह ही नहीं है, अपितु इस में आत्मरक्षा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा के तीनों सूत्र संकल्पबद्ध होते हैं। प्राचीन मान्यताओं से इस पर्व को मानने वाले श्रद्धालू इस दिन नदियों के जल में खड़े होकर विराट भारत की महान परंपराओं का स्मरण करते हुए संकल्प करते हैं, जिसे हेमाद्रि संकल्प अर्थात् हिमालय जैसा महान संकल्प का नाम दिया गया है। लेकिन इसी महान पर्व पर देश में कई शिक्षण संस्थान हैं जो इसके प्रति अपना घृणित रवैया रखते हैं और बच्चों को स्कूल पहुंचते ही उनके हाथों से इस पवित्र रक्षा धागे को उतरवा देते हैं। हर साल इस तरह की अनेक खबरें देश भर से आती हैं, पर इस बार राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने पहले से ही इसे संज्ञान में लेकर इस पर आदेश जारी कर दिया है।
बच्चों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अपराध, होगी कानूनी कार्रवाई
दरअसल, इसे लेकर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा लिया गया एक आदेश सामने आया है। जिसमें उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि कोई भी बच्चों की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाए। उन्होंने अपने जारी पत्र में साफ लिखा है कि ‘‘बच्चों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अपराध है’’ इसमें लिखा गया है, ‘‘अब कोई भी स्कूल तिलक एवं त्योहारों पर मेंहदी लगाने राखी और कलावा पहन कर विद्यालय आने पर बच्चों को रोक नहीं सकता है, विद्यालय द्वारा उल्लंघन की शिकायत को भेजें’’
इस संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है, ‘‘रक्षाबंधन का पर्व आ रहा है, बच्चे राखी बांधकर तिलक, मेहंदी लगाकर स्कूल आएँगे, ऐसे में स्कूलों को उनके धार्मिक विश्वास का सम्मान बनाए रखना चाहिए। यदि किसी स्कूल ने पर्व के दौरान बच्चों को इन विषयों पर दंडित किया तो स्कूल के विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।तत्संबंध में राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी किए जा चुके हैं।’’
हर साल देश भर में घटती हैं अनेकों घटनाएं, निशाने पर होते हैं राखी बांधकर विद्यालय पहुंचे बच्चे
उल्लेखनीय है कि पिछले साल एवं अन्य गत वर्षों में लगातार देश भर से कई शिकायतें सामने आती रही हैं, जिसमें विद्यालयों में रक्षा सूत्र बांधकर आए बच्चों को निशाना बनाया जाता रहा है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आंवला तहसील क्षेत्र के भामोरा रोड स्थित मिशनरी स्कूल होली फैमिली कान्वेंट में छात्रों के हाथ से राखी कटवाने का मामला सामने आया था। यहां की प्राचार्य ने सुबह की प्रार्थना में घोषणा करके सभी बच्चों के हाथों से कलावा और राखी उतरवा ली थीं। जब इस बात की जानकारी विश्व हिंदू को हुई और उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया, तब मामले के तूल पकड़ने के बाद स्कूल प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार की थी। स्कूल के उप प्रधानाचार्य सोफी मारिया ने फिर कहा था कि स्कूल सभी धर्म का सम्मान करता है, अगर स्कूल परिवार की ओर से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए हम क्षमा मांगते हैं।
इसी प्रकार की एक घटना उत्तर प्रदेश में ही हापुड़ में घटना सामने आया था। यहां के क्रिश्चियन स्कूल सेंट एंथोनी सीनियर सेकेंडरी में छात्रों के हाथ पर बंधी राखी और कलावा जबरन उतरवा दिया गया और उसे कूड़ेदान में फेंक देने को कहा था। इस क्रिश्चियन स्कूल में रक्षा बंधन के दिन छात्रों के माथे के टीके भी मिटवा दिए गए थे। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में मंगलुरु के कटिपल्ला के इन्फैंट मैरी इंग्लिश मीडियम स्कूल का है। मिशनरी स्कूल के शिक्षकों ने स्कूल में रक्षाबंधन त्योहार पर बहनों द्वारा बांधी गईं राखियों को पहनकर गए बच्चों के हाथों से राखियां हटवाईं और उन्हें कचरा बताते हुए डस्टबिन में फेंक दिया था ।
घटना की जानकारी होने के बाद बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों ने इन्फैंट मेरी इंग्लिश स्कूल में विरोध प्रदर्शन किया था । मामला आगे बढ़ने पर स्कूल के कन्वेनर फादर संतोष लोबो ने पूरे घटनाक्रम पर सफाई दी थी । कहा था, शिक्षकों ने राखी को फ्रेंडशिप बैंड समझ लिया होगा। इसलिए पूरी घटना हुई। स्कूल में राखी पहनकर आने पर कोई पाबंदी नहीं है। लोबो ने कहा कि शिक्षकों ने नासमझी के कारण ऐसा किया होगा। हम धार्मिक परंपराओं में दखल नहीं देते हैं। गलती करने वालों ने माफी मांग ली है।
इसी प्रकार की घटना गुजरात में भी घटी, भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र बंधन की प्रतीक रक्षा धागे राखी को गांधीनगर की मिशनरी स्कूल माउंट कार्मेल में उतरवा दिए जाने एवं कैंची चलाने का मामला सामने आया था । मामला सामने आते ही सरकार भी हरकत में आई। कक्षा तीन और पांचवीं के छात्रों के साथ यह घटना हुई थी । इस तरह से देखें तो देश भर में अनेक मामले हर साल प्रकाश में आते हैं, जिनमें ऐसे ही कहीं राखी उतरवाई जाती है तो कहीं स्कूलों में तिलक मिटाने के साथ अपने कलावा और रक्षा सूत्र (राखी) को बच्चों से ही कहा जाता है कि अपने ही हाथों से उसे कचरा डब्बे में डालों, जो बच्चा ऐसा करने से मना करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है । ऐसे में इन सभी घटनाओं को भविष्य में होने से रोकने एवं जनजागरण करने के लिए यह पहले से ही आदेश अभी बाल संरक्षण आयोग द्वारा निकाला जाना सामने आया है ।