युवा ‘स्व’ को आत्मसात कर अपने सामर्थ्य को समझें: सेठिया

राष्ट्रोत्थान न्यास की ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के दुसरे दिन बोले वक्ता.

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    06-Oct-2024
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Hemant Sethiya ji
 
 
ग्वालियर। समाज और राष्ट्र के चहुंमुखी विकास के लिए युवा सबसे पहले अपने ‘स्व’ को आत्मसात करें और अपने सामर्थ्य को समझें कि हम किसी से कम नहीं हैं। अपने अतीत पर गौरव करें, भारत का इतिहास पराजय का नहीं बल्कि संघर्षों का इतिहास है।
 
 
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत के प्रांंत कार्यवाह हेमंत कुमार सेठिया ने शनिवार को आईआईटीटीएम में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के दूसरे दिन मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। राष्ट्रोत्थान न्यास द्वारा वर्तमान युवा विमर्श विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता पटकथा लेखक अनुराग पाठक ने की। इस अवसर पर न्यास के अध्यक्ष विजय गुप्ता भी मंचासीन रहे। श्री सेठिया ने कहा कि आज देश में नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं। जो सत्य, अर्ध सत्य और असत्य भी हो सकते हैं। इसलिए आज विमर्श की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज भी देश में हिंदुत्व को लेकर भ्रम का वातावरण है। जबकि हिंदुत्व सर्वे भवंतु सुखिन: के सिद्धांत पर प्राचीन काल से चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा। श्री सेठिया ने कहा कि वर्तमान में वैचारिक स्तर पर लड़ाई की जरूरत है। दुश्मनों की ताकत केवल विचार में ही बची है। वैचारिक क्षेत्र में इनका एक इकोसिस्टम है। विमर्श एवं प्रचलित विमर्श यानी किसी बात को आप कैसे कहते हैं। सभी ग्रंथों में से कुछ बातें निकालकर विमर्श बनाया गया, जो विमर्श बनाया गया उसको अकादमिक रूप से स्थापित करना है।
 
 
उन्होंने कहा कि विमर्श बदलना बहुआयामी प्रक्रिया है। राष्ट्र को परम वैभव तक और हम अपनी वैश्विक भूमिका निभा सकें इसके लिए सही विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए, उसे गति देने की जरूरत है। इसको लेकर गुरुजी भी कहते थे कि मानव एकता व विश्व का कल्याण सबका ध्येय इसे पूर्ण करने का तरीका हिंदू चिंतन है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि बिना प्रामाणिकता के सैकड़ों जानकारी हमारे पास आ रही हैं और हम लोग भी बिना सत्यता जाने ही उसे फॉरवर्ड कर रहे हैं। इसलिए खासकर इस ओर युवाओं को ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वह अपनी संस्कृति को पहचानने का प्रयास करें।
 
 
 
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का परिचय अशोक पाठक ने दिया। अतिथियों का स्वागत नंदकिशोर अग्रवाल एवं डॉ.कुमार संजीव ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ.श्रीप्रकाश शुक्ला ने प्रस्तुत की। व्यक्तिगत गीत तपेश चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन शिवम सिसौदिया एवं आभार सुधीर शर्मा ने व्यक्त किया।
 

Upasthit Prabuddhjan
 
 
 
युवा अपनी चेतना को पहिचानें : पाठक
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अनुराग पाठक ने कहा कि युवा अपनी शक्ति को पहचानकर और अनुशासित होकर लक्ष्य हासिल करें। उन्होंने कहा कि युवाओं में असीम शक्ति है, लेकिन उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवा रोजगार के साथ ही अपनी चेतना को भी पहचानने का प्रयास करें। इस अवसर पर श्री पाठक ने लोगों को पंच परिवर्तन अर्थात सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी जीवन शैली व नागरिक कत्र्तव्य के माध्यम से भारत को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने की शपथ दिलाई।
 
 
आज काजल हिंदुस्तानी का होगा व्याख्यान
राष्ट्रोत्थान न्यास की तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के अंतिम दिन 6 अक्टूबर को सायं 5 बजे गोविंदपुरी स्थित भारतीय यात्रा एवं प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम) में पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर विषय पर समाजसेवी श्रीमती काजल हिन्दुस्तानी का व्याख्यान होगा।